🌹 निर्वाण दशकम् स्तोत्रम् - केवल शिव का आत्मा ही अस्तित्व में है। मैं वही शिव हूँ। - अर्थ और व्याख्या - श्री आदि शंकराचार्य 🌹
प्रसाद भारद्वाज
https://youtu.be/-ua5IzXPv3E
निर्वाण दशकम्, श्री आदि शंकराचार्य द्वारा रचित यह कृति अद्वैत वेदांत के सार को दस श्लोकों में सशक्त रूप से प्रस्तुत करती है। यह निर्वाण षट्कम् की भाँति, सभी सांसारिक संबंधों को त्याग कर, ब्रह्म या शिव को एकमात्र अखंड सत्य के रूप में दर्शाती है। यह रचना, द्वंद्व और भेद से परे, शुद्ध और निर्गुण स्वरूप को समझने के लिए आध्यात्मिक साधकों को मार्गदर्शन प्रदान करती है।
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