यदि तुम मोक्ष की कामना करते हो, तो विषय भोगों को विष के समान त्याग दो। (If you desire liberation, then renounce sense objects as if they were poison)


🌹यदि तुम मोक्ष की कामना करते हो, तो विषय भोगों को विष के समान त्याग दो। 🌹

प्रसाद भारद्वाज

https://youtu.be/4oMtdoGKlAM


"अष्टावक्र गीता" - प्रथम अध्याय, द्वितीय भाग, मोक्ष साधना में नैतिक मूल्यों और शांत मन की महत्ता को स्पष्ट करती है। अष्टावक्र महर्षि, विषय भोगों को विषतुल्य मानकर त्यागने और क्षमा, दया, ऋजु व्यवहार, संतोष जैसे गुणों को अमृत समान आचरण करने का उपदेश देते हैं। आत्म साधना के लिए शांत मन और विवेक बुद्धि की आवश्यकता और इस यात्रा में उनकी महत्ता को इस वीडियो में जानें।

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