🌹 अष्टावक्र गीता - प्रथम अध्याय - आत्मानुभवोपदेश - श्लोक 8 - मैं कर्ता हूँ इस अहंकार को छोड़कर, मैं साक्षी हूँ इस अमृत भावना को स्वीकार कर, आत्मज्ञान की वृद्धि प्राप्त करो। 🌹
🍀 4. आत्मज्ञान की वृद्धि प्राप्त करें। 🍀
प्रसाद भारद्वाज
https://youtube.com/shorts/dBDjTxizzCQ
इस वीडियो में अष्टावक्र गीता के पहले अध्याय के 8वें श्लोक की व्याख्या की गई है, जिसमें "मैं कर्ता हूँ" के अहंकार को छोड़ने और "मैं साक्षी हूँ" के अमृत भाव को अपनाकर आत्मज्ञान प्राप्त करने पर चर्चा की जाती है। जानें कि अहंकार कैसे हमारे मन को विषैले सर्प की तरह नष्ट करता है और साक्षी भाव कैसे हमें आत्मज्ञान में अमृत समान शांति प्रदान करता है। 'मैं कर्ता हूँ' के अहंकार को त्यागकर, 'मैं साक्षी हूँ' की भावना को अपनाकर आत्मज्ञान की वृद्धि प्राप्त करें।
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